ध्वनि उत्कृष्ट रचना तोड़ती पत्थर संध्या सुंदरी वीणावादिनि वर दे ! पत्रोत्कंठित जीवन का विष पथ आँगन में रख आई

Hindi सूर्यकांत त्रिपाठी निराला Poems