पुष्प-पुष्प से तन्द्रालस लालसा खींच लूँगा मैं, अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं, पुष्प-पुष्प से तन्द्रालस लालसा खींच लूँगा मैं, अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच ...
एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढुलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा- "मैं तोड़त... एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढुलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर ज्...
कवि का बढ़ जाता अनुराग, विरहाकुल कमनीय कंठ से, आप निकल पड़ता तब एक विहाग! कवि का बढ़ जाता अनुराग, विरहाकुल कमनीय कंठ से, आप निकल पड़ता तब एक विहाग!
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; नव नभ के नव विहग-वृंद को नव पर, नव स्... नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; नव नभ के नव विहग-वृंद को ...
क्रीड़ाएँ व्रीड़ा में परिणत । मल्ल भल्ल की-- मारें मूर्छित हुईं, निशाने चूक गए हैं । क्रीड़ाएँ व्रीड़ा में परिणत । मल्ल भल्ल की-- मारें मूर्छित हुईं, निशाने चूक गए ...
लहरें सरसी पर उठ-उठकर गिरती हैं सुन्दर से सुन्दर, हिलते हैं सुख से इन्दीवर, घाटों पर बढ आई काई। लहरें सरसी पर उठ-उठकर गिरती हैं सुन्दर से सुन्दर, हिलते हैं सुख से इन्दीवर, घाट...